बाइपोलर डिसऑर्डर क्या है, इसके कारण, लक्षण और घरेलू उपाय

बाइपोलर डिसऑर्डर (Bipolar Disorder) क्या है, कारण, लक्षण, घरेलू उपाय

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बाइपोलर डिसऑर्डर एक मानसिक स्वास्थ्य स्थिति है। जिसमें मूड में चरम उतार-चढ़ाव होता है। यह आमतौर पर कई हफ्तों और महीनों तक रहते है। और उन भावनात्मक उतार-चढ़ाव से बहुत अधिक हैं, जो हम में से अधिकांश लोग अनुभव करते हैं-

  • कम या अवसादग्रस्त-आप बहुत ज़्यादा दीन, उदास और यहांँ तक ​​कि निराश महसूस करते हैं।
  • उच्च या उन्मत्त-आप बेहद ख़ुश, प्रफ़ुल्लित महसूस करते हैं और बहुत अधिक सक्रिय हो जाते हैं। आप अपने और अपनी क्षमताओं के बारे में बहुत ही भव्य, भ्रमपूर्ण विचार विकसित कर सकते हैं।
  • हाइपोमैनिक-आपका मूड हाई होता है, लेकिन उतना नहीं जितना उन्माद में होता है।
  • मिश्रित-आप उन्माद और डिप्रेशन का मिश्रण महसूस करते हैं-जैसे-आप बहुत अवसादग्रस्त महसूस करते हैं, लेकिन उन्माद की बेचैनी और अति सक्रियता भी होती है।

बाइपोलर डिसऑर्डर के कारण

आनुवंशिकता

बाइपोलर डिसऑर्डर उन व्यक्तियों में अधिक आम होता है। अगर उनके माता-पिता में से एक को यह बीमारी है, तो उनके बच्चे को भी होने की संभावना 10% है। अगर माता-पिता दोनों को यह बीमारी है, तो बच्चे को भी यह बीमारी होने की संभावना 40% बढ़ जाती है।

पर्यावरणीय कारक

तनावपूर्ण घटनाओं से निपटने में असमर्थता भी बाइपोलर डिसऑर्डर को बढ़ा सकती है-जैसे-खराब  रिलेशनशिप, तलाक, परिवार में किसी की मौत, गंभीर बीमारी, पैसों की समस्या आदि और भी समस्या हो सकती है।

मस्तिष्क में रासायनिक असंतुलन

मस्तिष्क में नॉरएड्रेनालाईन, सेरोटोनिन, और डोपामाइन जैसे न्यूरोट्रांसमीटर के स्तर में असंतुलन होने से भी बाइपोलर डिसऑर्डर के लक्षण विकसित हो सकते हैं।

जैव-मनोवैज्ञानिक सहभागिता

द्विध्रुवी विकार का विकास आनुवंशिक प्रवृत्ति और पर्यावरणीय कारकों की परस्पर क्रिया से शुरू हो सकता है-जैसे-एक तनावपूर्ण जीवन घटना या दर्दनाक अनुभव आनुवंशिक प्रवृत्ति वाले व्यक्ति में द्विध्रुवी विकार के उद्भव में योगदान दे सकता है।

बाइपोलर डिसऑर्डर के लक्षण

उन्माद

इस दौरान व्यक्ति बहुत ज्यादा ऊर्जावान, उत्साही, चिड़चिड़ा या आत्मविश्वासी महसूस करता है। वह कम सोता है और ज्यादा बोलता है, उनके विचार तेजी से बदलते रहते है-जैसे-

  • खुश या उत्साहित महसूस करना, भले ही चीजें आपके लिए ठीक न चल रही हों।
  • नए और रोमांचक विचारों से भरपूर।
  • एक विचार से दूसरे विचार की और तेजी से बढ़ना।
  • बहुत जल्दी-जल्दी बात करना।
  • ऐसी आवाज निकलना, जो दूसरे लोग नहीं सुन सकते।
  • सामान्य से अधिक चिड़चिड़ा होना।
  • नहीं आना या ऐसा महसूस करना कि आप सोना चाहते हो।
  • निर्णय क्षमता एवं आवेगशीलता में कमी।
  • भ्रम या गंभीर मामलों में।
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हाइपोमेनिया

यह उन्माद जितना गंभीर नहीं होता। इसमें व्यक्ति खुश दिखता है और इसमें थोड़ी नींद की जरुरत होती है। वह मानसिक और शारीरिक रूप से सक्रिय होता है।

अवसाद

द्विध्रुवी अवसाद को सामान्य अवसाद के साथ जोड़ दिया जाता है। इसमें व्यक्ति उदास, निराशा, खाली या रोते हुए महसूस करता है। उसे कई चीजों में दिलचस्पी नहीं होती या उनसे कोई आनंद नहीं ले पाता-जैसे-

  • हल्का माहौल।
  • कम ऊर्जा होना या थकान महसूस होना।
  • निराशाजनक या नकारात्मक महसूस करना।
  • दोषी, बेकार या असहाय महसूस करना।
  • उन चीजों में कम रूचि करना जिन्हे आप सामान्य रूप से करना पसंद करते है।
  • ध्यान क्रेंद्रित करना, याद रखना या निर्णय लेने में कठिनाई।
  • बेचैनी और चिड़चिड़ा महसूस करना।
  • बहुत अधिक सोना या नींद न आना।
  • कम खाना या अधिक खाना।
  • वजन कम करना या बढ़ना।
  • मृत्यु या आत्महत्या का विचार करने का प्रयास।

मनोकृत

इसमें व्यक्ति ऐसी चीजें देखता और सुनता है, जो वास्तविक लगती हैं, लेकिन वे वास्तव में मौजूद नहीं होतीं है-जैस-

  • मतिभ्रम-इसका मतलब यह है कि आप उन चीजों को सुन, देख या महसूस कर सकते हैं जो वहां नहीं हैं।
  • भ्रम-इसका मतलब है कि आप उन चीजों पर विश्वास कर सकते हैं जो सच नहीं हैं। अन्य लोगों को आमतौर पर आपकी मान्यताएँ असामान्य लगेंगी।

पागलपन के दौरे

जब कोई व्यक्ति अधिकांश दिनों तक अत्यधिक उत्साही या चिड़चिड़ा रहता है, तब उसमे सामान्य से अधिक ऊर्जा होती है और व्यवहार में कम से कम तीन परिवर्तनों का अनुभव करता है-जैसे-

  • नींद में कमी (सामान्य से काफी कम नींद के बावजूद ऊर्जावान महसूस करना)।
  • वाणी का बढ़ना या तेज होना।
  • विचलित होना।

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  • बढ़ती हुई गतिविधियां (बेचैनी, एक साथ कई परियोजनाओं पर काम करना)।
  • जोखिम व्यवहार में वृद्धि (लापरवाही से गाड़ी चलाना, अधिक धन खर्च करना)।
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मिलती-जुलती घटनाएं

इसमें अवसाद, उन्माद और हाइपोमेनिया के साथ होते है। व्यक्ति उत्साह के बीच पल भर के लिए आँसुओं में डूब सकता है-जैसे-

  • थकान या ऊर्जा की हानि।
  • नींद की समस्या।
  • एकाग्रता और स्मृति समस्याएं।
  • अपनी योग्यताओं या शक्तियों के बारे में अवास्तविक, अतिशयोक्तिपूर्ण विश्वास।
  • बहुत सारा पैसा खर्चा करना।

बाइपोलर डिसऑर्डर के घरेलू उपाय

दवाइयां

मूड को स्थिर करने के लिए, डॉक्टर मूड स्टेबलाइज़र या एंटीसाइकोटिक्स जैसी दवाएं लिख सकते हैं। दवाईयों के सेवन के लिए किसी भी तरह की लापरवाही आपके लिए घातक हो सकती है। ऐसे व्यक्ति को न सिर्फ समय पर दवाई और थेरेपी लेनी चाहिए, बल्कि रोग विशेषज्ञ से भी हमेशा संपर्क में रहना चाहिए और उनकी सलाह पर अपनी दिनचर्या में आवश्यक बदलाव लेकर आएं।

पर्याप्त नींद लें

बाइपोलर डिसआर्डर से पीड़ित व्यक्ति को अपने स्लीप पैटर्न पर विशेष ध्यान देना चाहिए। ऐसे में व्यक्ति के लिए आवश्यक है कि वह नियमित रूप से समय पर सोए व उठे। बाइपोलर डिसआर्डर से पीड़ित व्यक्ति की सबसे पहले नींद ही डिस्टर्ब होती है।

मस्तिष्क पर अतिरिक्त दवाब न हो

बाइपोलर डिसआर्डर एक दिमागी विकार है। इसमें व्यक्ति बहुत ज्यादा उत्साही  व आत्मविश्वासी होता है या तो कभी बिल्कुल हताश। इसलिए इस तरह के मनोविकार से निपटने का एक बेहद आसान तरीका है कि ऐसा कोई भी काम न करे, जो मस्तिष्क पर अतिरिक्त दबाव बनाए। मसलन, नशे का सेवन बिल्कुल न करें। साथ ही किसी भी बात को मस्तिष्क पर हावी न होने दें। 

मूड चार्ट

व्यक्ति को मूड स्विंग बहुत ज्यादा होती है। इसमें आप एक चार्ट बनाये। आप इसमें प्रतिदिन के मूड के बारे में लिखे। इसमें आपको आत्म मूल्यांकन करने और अपनी स्थिति को समझने में मदद मिलेगी।

नशीली दवाओं से दूर रहे

शराब पीने या नशीली दवाओं का सेवन करने से आपके लक्षण बदतर हो सकते हैं और उनके वापस आने की संभावना बढ़ जाती है।

चेतावनी संकेतो पर ध्यान दें

लक्षणों के बारे में अपनी देखभाल करने वाली टीम से बात करने से एपिसोड को और खराब होने से रोका जा सकता है। अगर आपको अपने बाइपोलर एपिसोड का पैटर्न और उनके कारण पता चल गए हों। आपमें अवसाद या उन्माद का एपिसोड शुरू हो रहा है, तो अपने स्वास्थ्य सेवा पेशेवर या मानसिक स्वास्थ्य पेशेवर को बुलाएँ। अपने परिवार के सदस्यों या दोस्तों से चेतावनी के संकेतों पर नज़र रखने के लिए कहें।

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दिनचर्या में बदलाव

बाइपोलर डिसआर्डर से पीड़ित व्यक्ति के लिए अपनी दिनचर्या में कुछ बदलाव करना बेहद आवश्यक होता है। मसलन, ऐसी व्यक्ति को नियमित रूप से व्यायाम करना चाहिए। कुछ एक्सरसाइज जैसे वाॅकिंग, रनिंग, स्वीमिंग, डांसिंग व ड्रमिंग उनके मूड को स्थिर बनाने का काम करता है। 

संतुलन आहार लें

आहार भी मूड को प्रभावित करने में अहम भूमिका निभाता है। इसलिए अपने डाइट में ताजा फल, सब्जियां, अनाज, ओमेगा-3 फैटी एसिड युक्त भोजन जैसे साल्मन, सोयाबीन्स, फलैक्ससीड्स, कैनोला आयल, कद्दू के बीज आदि को शामिल करें। इसके अतिरिक्त हाई कार्बोहाइडेट युक्त भोजन, फैट्स, शुगर, चाॅकलेट, कैफीन व प्रोसेस्ड फूड का सेवन कम से कम करें।

योग और व्यायाम

व्यक्ति को रोजाना प्रतिदिन 30 मिनट तक व्यायाम करना चाहिए। यह शारीरिक गतिविधि मिजाज के उतार-चढ़ाव को नियंत्रित करने में मदद करती है। एरोबिक व्यायाम-जैसे पैदल चलना और दौड़ना, बाइपोलर अवसाद पर, वजन प्रशिक्षण के मुकाबले, अधिक बेहतर कार्य करते हैं।

बाइपोलर डिसआर्डर से संबंधित पूछे गए प्रश्न

बाइपोलर डिसआर्डर क्यों होता है?

बाइपोलर डिसआर्डर यह एक मानसिक स्वास्थ्य स्थिति है, जो अत्यधिक मूड स्विंग का कारण बनती है। इसमें भावनात्मक उतार-चढ़ाव शामिल हैं, जिन्हें उन्माद या हाइपोमेनिया भी कहा जाता है।

बाइपोलर डिसआर्डर कितने दिन तक रहता है?

बाइपोलर डिसआर्डर कम से कम 7 दिनों तक रहता है।

कितने प्रतिशत लोग बाइपोलर हैं?

दुनिया भर में करीब 4.6 करोड़ लोग बाइपोलर डिसऑर्डर से पीड़ित हैं, लेकिन भारत में बाइपोलर डिसऑर्डर से पीड़ित लोगों की संख्या करीब 0.3% है।

बाइपोलर डिसऑर्डर किसको सबसे ज्यादा प्रभावित करता है?

द्विध्रुवी विकार काफी आम है। यह 100 में से एक व्यक्ति को अपने जीवन में किसी न किसी समय इसका निदान किया जाएगा। द्विध्रुवी विकार किसी भी उम्र में हो सकता है, हालांकि यह अक्सर 15 से 19 वर्ष की आयु के बीच विकसित होता है।

बाइपोलर डिसऑर्डर को कैसे खत्म करें?

बाइपोलर डिसऑर्डर एक आजीवन बीमारी है। लेकिन दवा और टॉक थेरेपी जैसे दीर्घकालिक, चल रहे उपचार आपके लक्षणों को प्रबंधित करने और आपको स्वस्थ, उद्देश्यपूर्ण जीवन जीने में सक्षम बनाने में मदद कर सकते हैं।

बाइपोलर डिसऑर्डर को हिंदी में क्या कहते हैं?

बाइपोलर डिसऑर्डर को हिंदी में मैनिक डिप्रेशन कहते है।


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