चिंता अर्थ का शब्द डर और बेचैनी से जुड़ा होता है ,जब कोई व्यक्ति बहुत अधिक चिंता में डूब जाता है, तो उसे अचानक से पसीना आने लगता है, बेचैनी होने लगती है, टेंशन के साथ दिल की धड़कन भी तेज होने लगती है आदि को सामान्य प्रिक्रिया माना जाता है। कोई बुरी खबर सुनने पर, परीक्षा या इंटरव्यू से पहले, या जीवन में घटित किसी दुखद घटना को याद कर चिंतित हो जाना, ये सभी सामान्य चिंता के उदाहरण हैं। चिंता एक सामान्य अनुभव हो सकती है, लेकिन जब बहुत अधिक और स्थायी हो जाती है तो इसे मानसिक स्वास्थ्य के रूप में जाना जाता है। इसमें चिंता से कैसे दूर उसे कैसे कम करे और शरीर पर इसका क्या प्रभाव पड़ता है।
चिंता के प्रकार
- सामान्य चिंता-इस स्थिति में छोटी-छोटी बात पर चिंता होती है और तनाव महसूस होता है।
- घबराहट की समस्या-किसी बात से परेशान होकर भय महसूस करते हैं जो एक पैनिक अटैक का कारण बनता है।
- सामाजिक चिंता-इसमें सामाजिक स्थितियों में दूसरों से आलोचना किए जाने का डर होता है।
- भीड़ से डर लगना-आपको ऐसी जगह पर होने का तीव्र भय होता है जहां बहुत भीड़भाड़ हो।
- बीमार चिंता विकार-इसमें स्वास्थ्य से जुडी चिंता होती है इसे पहले हाइपोकॉन्ड्रिया कहा जाता था।
चिंता के लक्षण क्या है
- हाथों में ठंडा पसीना आना
- नींद की समस्या होना
- मुँह सुखना, घबराहट
- जी मिचलाना, छाती में दर्द
- हाथ या पैर में झनझनाहट महसूस होना
- मांसपेशियों में तनाव
- साँस लेने में कठिनाई
- दिल की धड़कन का तेज होना।
चिंता के कारण
- तनावपूर्ण स्थितियां-काम का दवाब, पारिवारिक कलह या वित्तीय संघर्ष।
- पर्यावरण कारण-जीवन में हुई कोई दुर्घटना या आघात की चिंता की उत्पति का कारण बन सकती है।
- नशीले दवाओं का दुरूपयोग-कुछ लोग दुःख भुलाने के लिए शराब या अन्य पर्दार्थो का सहारा लेते है। ऐसा करने से शरीर की समस्याएं बढ़ सकती है। जो चिंता को आगे बढ़ा देता है।
- सामाजिक चिंता-कुछ लोगो को यह डर होता है कि दूसरे लोग क्या बोलेंगे। कभी-कभी सामाजिक चिंता का डर इतना हो जाता है कि नियंत्रण से बाहर हो जाता है।
चिंता को नियंत्रण कैसे करे
- चिंता से बचने के लिए स्वास्थ्य जीवनशैली अपनाने के साथ-साथ नियमित आहार, व्यायाम और अच्छी नींद लेना बहुत जरुरी है।
- किसी भी दवाई को लेने से पहले चिकित्सा से सलाह ले।
ये भी पढ़े: मानसिक तनाव: क्या है, इसे दूर करने के घरेलू उपाय
- अधिक मात्रा में चाय और कॉपी ले से बचे। अधिक मात्रा में कैफीन का सेवन चिंता विकार के लक्षणों को बढ़ा सकता है।
- आगे जीवन में दर्दनाक घटना घटी है तो मन में नहीं रखना चाहिए। ऐसे में किसी दोस्त से या डॉक्टर से इस बारे में खुलकर बात कर सकते हैं। किसी से सहायता लेने से चिंता को कम करने में मदद मिल सकती है।
चिंता करने से शरीर पर प्रभाव
- अत्यधिक प्रभाव– थकान चिंता में से एक है इसका शरीर पर मानसिक, भावनात्मक और शारीरिक प्रभाव हो सकता है जैसे-थकान के कारण चक्कर आना, चिड़चिड़ापन, सिरदर्द, धीमी प्रतिक्रिया और खराब एकाग्रता हो सकती है।
- हृदय रोग-चिंता के दौरान दिल की धड़कन बढ़ जाती है तनाव प्रतिक्रिया हार्मोन का प्रवाह बढ़ जाता है। इसलिए हृदय रोग जोखिम बढ़ जाता है उच्च स्तर की चिंता से जुड़े ये लक्षण उच्च रक्तचाप या दिल के दौरे का कारण बन सकते हैं।
- पुराना दर्द-चिंता से ग्रस्त कई लोगो को क्रोनिक दर्द और मांसपेशियों में तनाव का अनुभव होता है क्योंकि उनका मस्तिष्क उनके केंद्र तंत्रिका तंत्र को संकट के संकेत भेजता है। यह तनाव प्रतिक्रिया आपकी मांसपेशियों का कसने का कारण बन सकती है और गठिया जैसी स्थितियों को जन्म दे सकती है।
- कामेच्छा में कमी-यह कमी जब आती है, जब लोग चिंतित रहते है क्योकि उनका शरीर अधिक तनाव हार्मोन का उत्पादन करता है। शरीर का मुख्य तनाव हार्मोन कोर्टिसोल है और कोर्टिसोल के उत्पादन में वृद्धि से सेक्स ड्राइव कम हो सकती है।
- रोग प्रतिरोधक में कमी-शरीर की लड़ाई या उड़ान की प्रतिक्रिया लगातार सक्रिय होती रहती है। आपके शरीर के लिए आराम की सामान्य स्थिति में वापस आना बहुत मुश्किल हो सकता है। जिसमे बीमारी के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाता है।
नियमित रूप से व्यायाम करने से, पर्याप्त नींद लेने और उन लोगो से जुड़े रहना जो आपको परवाह करते है। चिंता से दूर रहने का बेहतर तरीका है।
ज़्यादा सोचना अवसाद और चिंता जैसी मनोवैज्ञानिक समस्याओं से जुड़ा हुआ है। ज्यादा सोचने से मानसिक स्वास्थ्य में गिरावट आती है।
किसी बात से परेशान होकर आप भय महसूस करते है जो एक पैनिक अटैक का कारण बनता है। पैनिक अटैक के दौरान आपको पसीना आ सकता है, सीने में दर्द हो सकता है और दिल तेजी से धड़केगा। आपको साँस लेने में दिक्कत महसूस हो सकती है।
चिंता विकार सामाजिक अलगाव और नैदानिक अवसाद का कारण बन सकता है और व्यक्ति के काम करने, अध्ययन करने और नियमित गतिविधयों को करने की क्षमता को ख़राब कर सकता है। यह दोस्तों, परिवार और सहकर्मियों के साथ संबंधो को भी नुकसान पहुँच सकता है।
अपनी शरीर की गतिविधि की मात्रा बढ़ाने की कोशिश करे। व्यायाम के लिए कुछ एकाग्रता की आवश्यकता होती है और यह आपके मन के डर और चिंता को दूर कर सकता है।
बहुत ज्यादा चिंता होने पर व्यायाम, माइंडफुलनेस और ध्यान चिंता को कम कर सकती है और मनोचिकित्सा के प्रभाव को बढ़ा सकती है।