पूजा करते समय रोना आना क्या होता है, पूरी जानकारी

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हिन्दू समाज में पूजा को बहुत महत्त्व दिया जाता है। हर घर में रोज पूजा-पाठ किया जाता है। भगवान की भक्ति से जुड़े रहना ही दुखों से मुक्ति पाने का एकमात्र उपाय है। कुछ लोग भक्ति को ही अपने जीवन का आधार मान लेते हैं और अपना पूरा जीवन भगवान को समर्पित कर देते हैं। श्रद्धा के साथ पूजा पाठ करते है। कई बार मन में यह विचार आता है कि क्या हमारी प्रार्थना भगवान तक पहुंच रही है या नहीं। अगर आप भी भगवान की पूजा अर्चना करते हैं और आपको भी यह संकेत मिले तो आपको समझ लेना चाहिए कि भगवान ने आपकी प्रार्थना सुन ली है और आपकी हर मनोकामना पूरी होने वाली है। कई बार पूजा करते समय लोगों की आँखों में आंसू आने लगते है, इसका मतलब होता है कि आपके मन का दुख जल्द ही खत्म होने वाला है। साथ ही, आप व्याप्त बुराइयों पर विजय प्राप्त करेंगे। शास्त्रों में कहा गया है कि पूजा के दौरान आंसू आना भी साफ मन की निशानी है। इस दौरान आपको यह समझ लेना चाहिए कि आपने अपने मन में व्याप्त बुराई पर विजय प्राप्त कर ली है।

  • अगर पूजा करते समय आंखों में आंसू आ जाएं तो आप समझ जाएंगे कि ईश्वर क्या संकेत दे रहा है।
  • जो लोग अति उत्साहित और आंसू भरी आंखों वाले होते हैं उनका दिमाग बहुत साफ होता है। वे बहुत सरल स्वभाव के होते हैं।
  • हम अक्सर अपने विचार व्यक्त करते हैं और बेहद भावुक हो जाते हैं। साथ ही आंखों से आंसू भी बहने लगते हैं।

पूजा करने के लाभ

घर हो या मंदिर हिंदू धर्म में देवी-देवताओं की प्रतिदिन पूजा की जाती है। पूजा-पाठ करने से ना सिर्फ मन को शांति प्राप्त होती है, बल्कि जीवन में शुभ होता है और ईश्वर का आशीर्वाद प्राप्त होता है। लेकिन पूजा का पुण्य फल आपको तभी प्राप्त होगा, जब आप सही समय और नियम से पूजा करेंगे। गलत समय पर किए पूजा से देवी-देवता नाराज हो जाते हैं और ऐसे में पूजा अधूरी मानी जाती है।

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किस समय में पूजा ना करें

  • शास्त्रों के अनुसार, दोपहर में पूजा-पथ नहीं करनी चाहिए। यह समय पूजा के लिए निषेध माना जाता है, क्योंकि इस समय की गई पूजा भगवान नहीं स्वीकार करते है। इसलिए दोपहर 12 बजे से लेकर 3 बजे तक पूजा नहीं करनी चाहिए। इस समय की गई पूजा का फल नहीं मिलता है।
  • अगर आपने आरती कर ली है तो इसके बाद पूजा की विधि न करें। मान्यता है कि आरती पूजा के सबसे आखिर में की जाती है और इसके बाद देवी-देवता सो जाते हैं।

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  • जब घर पर किसी नवजात का जन्म हुआ हो या किसी की मृत्यु हुई हो। इस समय पूजा करना शुभ नहीं माना जाता है।
  • इसके साथ ही ग्रहण आदि में भी पूजा-पाठ न करें। इस दौरान आप ईश्वर का ध्यान और मंत्रों का जाप कर सकते हैं।

पूजा करने का सही समय

ज्योतिष के अनुसार, पूरे दिन में आप 5 बार पूजा कर सकते हैं. इसके लिए शास्त्रों में समय भी निर्धारित किए गए हैं। इस समय का पालन करते हुए आप दिन में एक बार, दो बार या अपनी श्रद्धानुसार पांच बार भी पूजा कर सकते हैं-

  • पहली पूजा का समय- ब्रह्म मुहूर्त सुबह 04:30 से 5:00 बजे तक
  • दूसरी पूजा- सुबह 09 बजे तक
  • मध्याह्न पूजा- दोपहर 12 बजे तक
  • संध्या पूजा- शाम 04:30 से 6:00 बजे तक
  • शयन पूजा – रात 9:00 बजे तक।

पूजा से संबंधित प्रश्न

भगवन के सामने रोना क्यों आता है?

भगवान के सामने अधिकतर लोग दुखड़े ही रोते है या शिकायत करते है। अधिकतर लोग अपनी सांसरिक इच्छाओं की पूर्ति की गुहार लगाते है। या अपनी परेशानियों के निवारण चाहते है।

पूजा करते समय दीपक बुझ जाए तो क्या होता है?

पूजा करते समय दीपक बुझ जाए तो अपशगुन माना जाता है। मान्‍यता है कि यदि पूजा के दौरान दीपक बुझ जाए तो यह देवी-देवता के नाराज होने का संकेत माना जाता है।

पूजा करने वाले लोग क्यों परेशान रहते हैं?

पूजा करने वाले लोग इसलिए परेशान रहता है, क्योंकि ईश्वर उसी की परीक्षा लेते हैं, जिससे वह सबसे अधिक प्रेम करता है। भगवान उसे हर कठिनाइयों से मुक्त करना चाहते हैं, ताकि उसे जीवन में कभी किसी प्रकार की परेशानियों का सामना न करना पड़ें।

क्या रोना पूजा का कार्य है?

रोने को एक अलग क्रिया के बजाय पूजा का एक अतिरेक माना जा सकता है । भक्ति के इस अनूठे रूप से जुड़ी भावनाओं और आध्यात्मिक अनुभवों को उजागर करें।


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