महिलाओं की कई समस्याओं का इलाज आयुर्वेद में प्राकृतिक तरीके से किया जा सकता है। यौन समस्याएं हो या फिर गर्भावस्था से जुड़ी परेशानी, हर एक समस्या को दूर करने में आयुर्वेद की जड़ी-बूटियों का खास महत्व होता है। इन्ही जड़ी-बूटियों में से एक है शतावरी, यह एक ऐसी जड़ी-बूटी है जिसकी मदद से शरीर की कई परेशानियों को दूर किया जा सकता है। ऐसे ही शतावरी यह भी महिलाओं के लिए फायदेमंद होती है। यह एक ऐसी आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी है, जिसका वैज्ञानिक नाम एस्पेरेगस रेसिमोसस है। शतावरी का इस्तेमाल सौ से अधिक बीमारियों को दूर करने में प्रभावी माना जाता है। आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों के अलावा इसका इस्तेमाल भारत के कई क्षेत्रों में सब्जी के रूप में भी किया जाता है।
वजन घटाने के लिए
शरीर में कई तरह के हार्मोन बदलाव के कारण महिलाओं का वजन बढ़ जाता है। ऐसे में शतावरी का इस्तेमाल काफी फायदेमंद है। शतवारी में सॉल्युबल फाइबर और इन सॉल्यूबल फाइबर मौजूद होता है, जो शरीर के अतिरिक्त फैट को कम करके मोटापे को कंट्रोल करने में प्रभावी हो सकता है। इतना ही नहीं, शतावरी में 90 फीसदी से ज्यादा पानी होता है। वहीं, कैलोरी की मात्रा काफी कम होती है। ऐसे में इसका सेवन महिलाओं के बढ़ते वजन को कंट्रोल करने में प्रभावी हो सकता है।
माइग्रेन का इलाज
माइग्रेन एक ऐसी समस्या है, जिससे पीड़ित मरीजों को काफी ज्यादा दर्द का सामना करना पड़ता है। इस समस्या से पीड़ित मरीज को अचानक से सिर में तेज दर्द का अनुभव होता है। ऐसे में शतावरी माइग्रेन का इलाज करने में प्रभावी जड़ी-बूटी हो सकता है। इसके इस्तेमाल से माइग्रेन पीड़ित रोगियों का इलाज जल्द से जल्द किया जा सकता है। दरअसल, शतावरी में राइबोफ्लेविन नामक विटामिन पाया जाता है, तो माइग्रेन के इलाज में प्रभावी दवा हो सकती है। अगर आपको माइग्रेन की समस्या है, तो 30 ग्राम शतावरी का सेवन रोजाना करें। इससे आपको काफी लाभ हो सकता है।
गर्भावस्था के समय वरदान है
गर्भवती महिलाओं के लिए शतावरी का सेवन काफी लाभकारी हो सकता है। दरअसल, शतावरी में फोलेट होता है, जो गर्भ में पल रहे बच्चे और मां दोनों के लिए लाभकारी है। इसलिए कई आयुर्वेद एक्सपर्ट गर्भ धारण के दौरान महिलाओं को शतावरी का सेवन करने की सलाह देते हैं। इससे भ्रूण में पल रहे बच्चे का मानसिक विकास भी बेहतर तरीके से हो सकता है।
यूरीनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन से करे बचाव
शतावरी के इस्तेमाल से यूरीनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन की परेशानी को दूर किया जा सकता है। दरअसल, शतावरी में विटानिन एक मौजूद होता है। एक्सपर्ट के मुताबिक, विटामिन ए यूरीनरी इंफेक्शन को दूर करने में प्रभावी जड़ी-बूटी साबित हो सकती है। इतना ही नहीं, यह किडनी से जुड़ी परेशानी को भी दूर करने में प्रभावी है।
माहमारी के दौरान
पीरियड्स की परेशानियों को दूर करने में शतावरी का सेवन महिलाओं के लिए लाभकारी हो सकता है। दरअसल, शतावरी के इस्तेमाल से यह पीरियड्स के दौरान होने वाले दर्द और ऐंठन को कम करने में प्रभावी होता है। इसके अलावा इस दौरान होने वाली शारीरिक कमजोरी को दूर करने में भी शतावरी लाभकारी हो सकता है। इसलिए पीरियड्स के दौरान महिलाओं को शतावरी का सेवन करने की सलाह दी जाती है।
डायबिटीज के लिए उपयोगी
खराब जीवनशैली और गलत खानपान की वजह से इन दिनों महिलाएं और पुरुष दोनों ही डायबिटीज जैसी कई बीमारियों से प्रभावी हो रहे हैं। शतावरी का नियमित रूप से सेवन से डायबिटीज जैसी परेशानी को दूर किया जा सकता है।
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शतावरी में एंटीडायबिटीज गुण पाया जाता है, जो मधुमेह को कंट्रोल करने में काफी हद तक आपकी मदद कर सकता है।
सूजन कम करने के लिए
शतावरी में कई एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं, जो शरीर के ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को कम करते हैं। इससे सूजन की समस्या दूर होती है।
शतावरी के नुकसान
- शतावरी का सेवन अधिक मात्रा में करने से शरीर को कई नुकसान हो सकते हैं। इसलिए हमेशा आयुर्वेद एक्सपर्ट की सलाह पर ही शतावरी का सेवन करें। अगर आप इसका अधिक मात्रा में सेवन करते हैं, तो इससे शरीर के कई अन्य डैमेज हो सकते हैं। वहीं, कुछ परिस्थितियों में मरीजों को गैस, एलर्जी,पेट में दर्द इत्यादि की परेशानी हो सकती है।
- शतावरी के अंदर पोटैशियम बहुत अधिक पाया जाता है और अगर इसका ज्यादा सेवन कर लिया जाए तो शरीर में भी पोटैशियम की मात्रा अधिक हो जाती हैं। जब पोटैशियम की मात्रा शरीर में बढ़ जाती है तो यह हाइपरक्लेमिया का कारण बन सकती हैं जिससे आपको सांस लेने में दिक्कत और सीने में जलन जैसी तकलीफें हो सकती हैं।
- शतावरी को यदि सीधे ही त्वचा पर लगा लिया जाए तो इससे एलर्जी भी हो सकती हैं।
- शतावरी में कार्बोहाइड्रेट की मात्रा भले ही कम होती है फिर भी इसके ज्यादा सेवन से मोटापे की समस्या हो सकती हैं।
- शतावरी का सेवन गर्भवती महिलाओं को हमेशा डॉक्टर की सलाह से ही करना चाहिए।
शतावरी से संबंधित प्रश्न
महिलाओं को शतावरी चूर्ण दूध, दही या पानी के साथ मिलाकर लेना चाहिए। आप दिन में अधिकतम दो बार इसका सेवन कर सकती हैं। सुबह शाम 1 चम्मच इसका सेवन करने से महिलाओं को कई फायदे पहुंचते हैं।
जिन लोगों को ऐसी कोई भी समस्या है वो नियमित रूप से शतावरी और दूध का सेवन कर सकते हैं। प्रजनन क्षमता बेहतर करे-शतावरी खाने से प्रजनन क्षमता बेहतर होती है।
एक सप्ताह के अंदर ही इसका असर दिखने लगता है।
नहीं, शतावरी की तासीर शीत यानि की ठंडी होती है।
इसका उपयोग शरीर से कम होते वजन में सुधार के लिए किया जाता है तथा इसे कामोत्तेजक के रूप में भी जाना जाता है। इसकी जड़ का उपयोग दस्त, क्षय रोग (ट्यूबरक्लोसिस) तथा मधुमेह के उपचार में भी किया जाता है।
प्रति कप शतावरी में एक ग्राम से अधिक घुलनशील फाइबर होता है, जो हृदय रोग के जोखिम को कम करता है और अमीनो एसिड एस्परैगिन शरीर से अतिरिक्त नमक को बाहर निकालने में मदद करता है।