हाथ में कलावा बांधने के फायदे, पूरी जानकारी

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हिन्दू धर्म शास्त्रों में कलाव और मौली का विशेष महत्व है। जब भी घर में पूजा-पाठ होती है, तो पंडित घर के हर सदस्यों को मौली बांधते है। कलाव बांधने से जीवन के सारे कष्ट दूर हो जाते है और सकारात्मक बना रहता है। मौली को हाथ में बांधने से त्रिदेव यानि विष्णु, ब्रह्मा, महेश का आशीर्वाद होता है और लक्ष्मी, देवी सरस्वती और पार्वती की अनुकूलता भी बनी रहती है। वह जो भी कार्य करने जा रहे है। वह बिना किसी बांधा के पूर्ण होता है। कलाव को सुरक्षा सूत्र भी कहते है, जो बुरे समय में रक्षा करता है और इससे घर में सुख-समृद्धि भी बनी रहती है। कलाव बांधने से व्यक्ति का स्वास्थ्य भी अच्छा रहता है। कलाव से जुडी कुछ महत्वपूर्ण बाते है-

कलाव के बारे में

प्राचीन कथाओं के अनुसार इंद्र देवता ने अपने  शत्रुओं पर विजय पाने के लिए रक्षा सूत्र यानी कलाव का इस्तेमाल किया था। उन्होंने अपने हाथ पर कलाव बांधकर ही शत्रुओं से युद्ध में विजय प्राप्त की थी।

कलाव बांधने का महत्त्व

कलाई में कलाव बांधने से देवी शक्तियां प्राप्त होती है। यह धागा कलाई की नसों से ऊर्जा पुरे शरीर में फैलने में मदद करता है और हमेशा ऊर्जावान बना रहता है। किसी भी पूजा के बाद कलावा बांधने से ईश्वर की पूर्ण कृपा और आशीष प्राप्त होता है। लाल रंग हमेशा ऊर्जा को आकर्षित करता है इसलिए कलावा के रूप में बांधा जाने वाला लाल धागा शरीर और मस्तिष्क के लिए हमेशा अच्छा माना जाता है। लाल रंग का धागा हमारे आसपास के वातावरण को सकारात्मक बनाने में मदद करता है।

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लाल रंग का कलाव शुभ होता है

ज्योतिष के अनुसार आप किसी भी पूजा-पाठ में सम्मिलित हों, किसी भी धार्मिक स्थल से वापस आएं या किसी भी काम के लिए बाहर निकले, तो रक्षासूत्र कलाव अवशय बंधवाएं। लाल रंग का धागा सबसे शुभ माना जाता है।

किस हाथ में कलाव बांधा जाता है

पुरुष को कलाव अपने दाहिने हाथ पर और महिला को अपने बाएं हाथ बंधवाना चाहिए। कलाव 40 दिनों तक पहने और इसे बदलते रहे। 40 दिनों तक कलाव किसी भी तरह की सकारात्मक ऊर्जा आपके शरीर में प्रवेश कर जाती है। इसलिए इसे बदलकर दूसरा कलावा बांधें जिसमें और भी कई तरह की ऊर्जाएं मौजूद हों।

कलाई पर धागा कितनी बार लपेटना चाहिए

कलावा बंधवाते समय ध्यान रखें कि आपकी कलाई में धागा तीन से पांच बार लपेटा गया हो। कलावा बंधवाते समय आपका हाथ खाली नहीं रहना चाहिए। आप जिस हाथ में धागा बंधवा रहे है। उसमे एक सिक्का रख ले और दूसरा हाथ अपने सिर पर रखे और उस सिक्के को उसे दें जिसने आपके कलाई पर धागा बांधा है।

पुराने कलावा को कहा रखें

पुराने कलाव को खोलने के बाद उसे यहां-वहां नहीं फेंके। उस धागे को किसी पीपल के पेड़ के नीचे रखे या फिर पानी में प्रवाहित कर दें।

कलावा बांधने के फायदे

  • कलाई पर धागा बांधने से पल्स पर दवाब बना रहता है और त्रिदोषों से बच सकते है।
  • धागा बांधने से तीन तरह की बीमारियों पर कंट्रोल हो सकता है-जैसे, कफ, वात और पित्त आदि।
  • कफ यानी सर्दी-जुकाम और बुखार से जुड़ी बीमारियां, वात यानी गैस, एसीडिटी से जुड़ी बीमारियां, पित्त यानी फोड़े-फूंसी, त्वचा से जुड़ी बीमारियां। इन सभी बीमारियों की परख वैद्य कलाई की नब्ज से करते हैं।  
  • कलाई पर धागा बांधने से जीवन में आने वाले संकट की रक्षा होती है।
  • कलावा बांधने से त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु और महेश का आशीर्वाद मिलता है। साथ ही सरस्वती, लक्ष्मी और पार्वती तीनों देवियों की अनुकूलता का भी लाभ मिलता है।
  • कलाई पर धागा बांधने से नसों की प्रक्रिया नियंत्रित रहती है। कलावा बांधने से ब्लड प्रेशर, हृदय संबंधी रोग, डायबिटीज और पैरालिसिस जैसे रोगों से काफी बचाव होता है।
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  • कुंवारी लड़कियों के दाएं हाथ में कलाव बांधना चाहिए। बही-खाता, चाबी के छल्ले और तिजोरी जैसी जगहों पर पवित्र मौली बांधने से लाभ होता है।
  • मौली में देवी-देवता अदृश्य रूप से विराजमान होते है। मौली का धागा कच्चे सूत से तैयार होता है। इसे कलाई पर बांधने से आर्थिक समस्या दूर होती है।
  • ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार कलाई पर लाल रंग का धागा पहने से कुंडली में मंगल ग्रह मौजूद होते है।

हाथ में कलावा बांधने से संबंधित प्रश्न

हाथ में मौली क्यों बांधते है?

मौली बांधने की परम्परा सदियों से चली आ रही है। इंद्रदेव को इंद्राणी ने और फिर वामन भगवान ने दानवीर राजा बलि की कलाई में अमरता के लिए रक्षा सूत्र बांधा था।

मौली बांधने से क्या होता है?

इस धागे से दवाब यानी कफ, वात और पित्त से संबंधित तीन तरह की बीमारियां कंट्रोल हो सकती है। कफ यानी सर्दी-जुकाम और बुखार से जुड़ी बीमारियां, वात यानी गैस, एसीडिटी से जुड़ी बीमारियां, पित्त यानी फोड़े-फूंसी, त्वचा से जुड़ी बीमारियां है।

लड़कियों को किस हाथ में कलावा बांधना चाहिए?

लड़कियों को बाएं हाथ में कलाव बांधना चाहिए।

मौली किस दिन बांधनी चाहिए?

मौली को शनिवार, मंगलवार या फिर त्यौहार के अवसर पर बांधना चाहिए। मौली से संबंधित एक और महत्वपूर्ण कारक यह है कि पुरुष और युवा लड़कियां इसे अपनी दाहिनी कलाई पर और विवाहित महिलाएं अपनी बाईं कलाई पर बांधती हैं।

हाथों में लाल धागा बांधने से क्या होता है?
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हाथ में कलावा या लाल धागा बांधने से धन की देवी माता लक्ष्मी प्रसन्न रहती हैं। वहीं राम भक्त हनुमान जी भी कृपा प्राप्त होती है।

मौली कब उतारना चाहिए?

मौली को जब तक पहना चाहिए जब तक वह टूट न जाएं। जब धागा कलाई से टूटकर नीचे गिर जाएं, तो उसे फेंकना नहीं चाहिए। इसकी बजाय पर इसे धरती पर जैसे-मिट्टी, पानी या किसी प्रकृतिक सतह पर।


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